मेरी कलम से कुछ .. ' अनकही '
Thursday, September 15, 2016
Sunday, January 29, 2012
" तेरी यादों का एलबम् ...
तेरी यादों का एलबम् है दिल में ...
इक हवा का झोका आता है रोज ..
और इन पन्नों को पलट जाता है ..
थम सी जाती है साँसे ..
जब खुलता है पन्ना तेरे मेरे बिछोह का..
छलक पड़ते है आँसू ..
और दरिया बन जाता है ..
पर बिछोह कि गर्माहट इतनी है ..
के हर कतरा कंही उड़ जाता है ..
कतरा कतरा मिलकर युंही ..
इक बादल बन जाता है ..
और मेरा हर इक आँसू ..
फिर यूँही बरस जाता है ..
फर्क इतना है ..
बादल जब रोता है ..
तो जमीं को आबाद करता है ..
और जब मै रोता हूँ ..
तो दिल तुझे याद करता है ..!
रोना नही छोडना मुझे..
मेरे रोने से कुछ तो आबाद होता है ..
फिर इस बारे में क्या सोचना ..
कि मेरा जीवन बर्बाद होता है ..!
इसे मेरा दर्द तो क्या कहूँ ..
ये मेरी जिंदगी का रोना है ..
या फिर इसे याद लिखूँ ..
ये मेरी जिंदगी का रोना है ..
या फिर इसे याद लिखूँ ..
जिसे कभी ना खोना है ..!
--- जितेन्द्र भाटी
Friday, January 20, 2012
" मौला तेरी रहमत इतनी . . ."
मौला तेरी रहमत इतनी ,
दुआ मै तुमसे करता हूँ ..
आज जाते है लब्ज वहाँ से ,
जब याद तुझे मै करता हूँ ..!
दुआ मै तुमसे करता हूँ ..
आज जाते है लब्ज वहाँ से ,
जब याद तुझे मै करता हूँ ..!
पड़ जाती है स्याही भी कम ,
कलाम जब मै लिखता हूँ ..
कलाम जब मै लिखता हूँ ..
कल्पनाओं के असीम सागर में ,
अपनी सोच भिगोता हूँ ..!
अपनी सोच भिगोता हूँ ..!
शब्दों संग यारी करके , अपनी प्रीत संजोता हूँ ..
शब्दों के फूल बनकर , कागज
पर मै खिलता हूँ ..!
कभी आती है रचना
ख्वाबों में , महसूस मै उसको करता हूँ ..
रचना कहती ऐसे रचना , तब "एहसास" खास मै रचता हूँ ..!
रचना कहती ऐसे रचना , तब "एहसास" खास मै रचता हूँ ..!
लब्जों के आसमां में , उड़ाने कुछ मै भरता हूँ ..
इन्द्रधनुष
मेघा संग मिलकर , कुछ रंगों में बरसता हूँ ..!
कहे कोई शायर मुझको , या कहे कोई कवि ..
काव्य है जग ये सारा , काव्य दिल में रखता हूँ ..!
हो गई हो कुछ भूल मुझसे , मै क्षमा याचना करता हूँ ..!
शुरुआत है ये मेरे जीवन कि , गिरता हूँ कुछ संभलता हूँ .!
शुरुआत है ये मेरे जीवन कि , गिरता हूँ कुछ संभलता हूँ .!
देना साथ प्रभु तुम मेरा , मगन मै तुझमे रहता हूँ
तु ही है काव्य मेरा , मै काव्य आराधना करता हूँ ..!
--- जितेन्द्र भाटी
Tuesday, January 10, 2012
Sunday, January 8, 2012
" कुछ होते है दीवाने मंजिल के .."
" कुछ होते है दीवाने मंजिल के ..
एक दीवाना मै भी हूँ ..! "
"
लाख मंजिल तु दूर सही ..
मुझसे ना बच पाएगी ..
आना है उस दिन को इक दिन ..
संग मेरे कदम बढ़ाएगी ..
है तेरे चाहने वाले ..
एक परवाना मै भी हूँ ..
कुछ होते है दीवाने मंजिल के
एक दीवाना मै भी हूँ ..! "
'"
लगी आग सिने मै बंदे ..
ये आग ना अब बुझ पाएगी ..
क्या सोचे तु दीवाना बन जा ..
मंजिल पास बुलाएगी ..
छेडे है तराने कुछ ने ..
एक तराना मै भी हूँ
कुछ होते है दीवाने मंजिल के
एक दीवाना मै भी हूँ ..! "
-- जितेन्द्र भाटी
" मै परेशान होता रहा ... "
"
वो परेशान करते रहे,
मैं परेशान होता रहा .."
किसी ने जाना नही
मेरी परेशानियों को ..
समां यूँ नादान होता रहा ..
मैं परेशान होता रहा ..
"
परेशानियों संग परेशान होने का ..
ये अजीब जुर्म मेरा, मेहमान होता रहा ..
फिर भी इन बातों से मै ,अनजान होता रहा ..
मैं परेशान होता रहा .."
"
क्या परेशानियों का नसीब गम होता है ..
गर होता है तो, गम-ए-नसीब मेरा ..
अरमान होता रहा ..
मैं परेशान होता रहा .."
" तु कितना भी कर परेशान मुझे ..
हालातों को जीत कर मै ..
जितेन्द्र-ए-परेशान होता रहा ..
मैं परेशान होता रहा .."
-- जितेन्द्र भाटी
" सुप्रभात .... "
उदय दिनकर आँगन में , धरती यूँ इठलाए ..
है स्वच्छ निर्मल ये पल , पवने मंद सरसाए ..आज रवि का रवि को प्रणाम , जीवन आस दिखाए ..
बरसे आनंद जीवन में , कलियाँ खिल खिल जाए ..
पंछी कोयल और चिडियाँ , अपना गान सुनाए ..
ठंडी अपना रंग जमाए , ठिठुर ठिठुर सब जाए ..
लगा अलाव सब संग बैठे , अग्नि ठण्ड रमाए ..
" जितेन्द्र " कहे सुप्रभात तुमसे , कुछ बात तुम्हे बताए ..
तराना समझो अफसाना समझो , अपना राग सुनाए ..!
--- जितेन्द्र भाटी
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