तेरी यादों का एलबम् है दिल में ...
इक हवा का झोका आता है रोज ..
और इन पन्नों को पलट जाता है ..
थम सी जाती है साँसे ..
जब खुलता है पन्ना तेरे मेरे बिछोह का..
छलक पड़ते है आँसू ..
और दरिया बन जाता है ..
पर बिछोह कि गर्माहट इतनी है ..
के हर कतरा कंही उड़ जाता है ..
कतरा कतरा मिलकर युंही ..
इक बादल बन जाता है ..
और मेरा हर इक आँसू ..
फिर यूँही बरस जाता है ..
फर्क इतना है ..
बादल जब रोता है ..
तो जमीं को आबाद करता है ..
और जब मै रोता हूँ ..
तो दिल तुझे याद करता है ..!
रोना नही छोडना मुझे..
मेरे रोने से कुछ तो आबाद होता है ..
फिर इस बारे में क्या सोचना ..
कि मेरा जीवन बर्बाद होता है ..!
इसे मेरा दर्द तो क्या कहूँ ..
ये मेरी जिंदगी का रोना है ..
या फिर इसे याद लिखूँ ..
ये मेरी जिंदगी का रोना है ..
या फिर इसे याद लिखूँ ..
जिसे कभी ना खोना है ..!
--- जितेन्द्र भाटी
GOOD TRY JAAN KEEP IT UP
ReplyDeleteइस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें .
ReplyDeleteकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.